मौसलपर्व ~ षोड़श पर्व
महाभारत के मौसलपर्व में १ उपपर्व, ८ अध्याय एवम कुल ३२० श्लोक हैं।
१. मौसलपर्व
१. युधिष्ठिरका अपशकुन देखना, यादवोंके विनाशका समाचार सुनना, द्वारकामें ऋषियोंके शापवश साम्बके पेटसे मूसलकी उत्पत्ति तथा मदिराके निषेधकी कठोर आज्ञा
२. द्वारकामें भयंकर उत्पात देखकर भगवान् श्रीकृष्णका यदुवंशियोंको तीर्थयात्राके लिये आदेश देना
३. कृतवर्मा आदि समस्त यादवोंका परस्पर संहार
४. दारुकका अर्जुनको सूचना देनेके लिये हस्तिनापुर जाना, बभ्रुका देहावसान एवं बलराम और श्रीकृष्णका परमधाम गमन
५. अर्जुनका द्वारकामें आना और द्वारका तथा श्रीकृष्ण-पत्नियोंकी दशा देखकर दुःखी होना
६. द्वारकामें अर्जुन और वसुदेवजीकी बातचीत
७. वसुदेवजी तथा मौसलयुद्धमें मरे हुए यादवोंका अन्त्येष्टि-संस्कार करके अर्जुनका द्वारकावासी स्त्री-पुरुषोंको अपने साथ ले जाना, समुद्रका द्वारकाको डूबो देना और मार्गमें अर्जुनपर डाकुओंका आक्रमण, अवशिष्ट यादवोंको अपनी राजधानीमें बसा देना
८. अर्जुन और व्यासजीकी बातचीत